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कुबेरः
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কুবের
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কুবেৰ
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குபேரன்
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കുബേരന്
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କୁବେର
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ਕੁਬੇਰ
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કુબેર
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ಕುಬೇರ
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कुबेर
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కుబేరుడు
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किन्नरेशः
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एकपिङ्गः
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ऐडविडः
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यक्षराट्
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यक्षेन्द्रः
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यक्षेश्वरः
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त्र्यम्बकसखा
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नरवाहनः
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धनदः
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धनाधिपः
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पुण्यजनेश्वरः
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श्रीदः
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वैश्रवणः
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गुह्यकेश्वरः
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मनुष्यधर्मा
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mammon
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पौलस्त्यः
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देववर्णिनी
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अष्टदिक्पालकस्तोत्रम् - इन्द्रः श्लोकः ऐरावतगजा...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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आचारकाण्डः - अध्यायः ११६
विष्णू पुराणाचा एक भाग असलेल्या गरूड पुराणात मृत्यूनंतरच्या स्थितीबद्दलची चर्चा आहे, शिवाय श्रद्धाळू हिंदू धर्मीयांमध्ये मृत्यूनंतर जी विविध क्रिया कर्मे केली जातात, त्याला गरूडपुराणाची पार्श्वभूमी आहे.
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अलका
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स्वर्गखण्डः - अध्यायः १६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १८९
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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बालकृतकृष्णस्तोत्रम् - यथा संरक्षितं ब्रह्मन्सर्...
भगवान श्रीकृष्ण विष्णुचा आठवा अवतार आहे. श्रीकृष्णाचा अवतार पूर्ण अवतार समजतात. Lord Krishna is the eighth and the most popular incarnation of Lord Vishnu.
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रुचकादिप्रासादलक्षणं नामैकोनपञ्चाशोऽध्यायः - १०१ ते १५०
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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प्रासादजातिर्नाम द्विपञ्चाशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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काव्यमीमांसा - प्रथमो ऽध्यायः
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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युद्धखण्डः - अध्यायः ३६
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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पुरुषाङ्गदेवतानिघण्ट्वादिनिर्णयश्चतुर्दशोऽध्यायः
समराङ्गणसूत्रधार भारतीय वास्तुशास्त्र से सम्बन्धित ज्ञानकोशीय ग्रन्थ है जिसकी रचना धार के परमार राजा भोज (1000–1055 ई) ने की थी।
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कूर्मपुराणः - सप्तमोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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शिवाख्यः चतुर्थाम्शः - चतुस्त्रिंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ५२
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २५२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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नवमः पटलः - त्रैलोक्यमङुलकुमारीकवचम्
कुमारीकवचोल्लासः
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तिष्यसन्तानः - अध्यायः १२२
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - एकादशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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द्वारकाखण्डः - अध्यायः १०
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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उत्तरभागः - अध्यायः १५
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः २२८
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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